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चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो गयी: जानिए छठ पूजा के पीछे क्या है पौराणिक कथा

छठ पूजा : बुधवार 18 नवम्बर 2020 से नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय महापर्व छठ पूजा की शुरुआत हो गयी। यह पर्व,  (षष्‍ठी पूजा)  कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाता है सूर्योपासना का यह लोकपर्व मुख्य रूप से बिहार झारखण्ड  पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल  के तराई क्षेत्रों में मनाया जाता है। हिन्दू आस्था के इस महापर्व में मूर्ति पूजा शामिल नहीं है और कठिन व्रतों में से  एक माना जाता है ।

छठ पर्व कि  पौराणिक कथा

इस पर्व के पीछे अनेको पौराणिक कथाओ का समावेश है कहा जाता है  कि प्रथम देवासुर संग्राम में जब असुरों के हाथों देवता हार गये थे, तब देव माता अदिति ने तेजस्वी पुत्र की प्राप्ति के लिए देवारण्य के देव  सूर्य मंदिर में छठी मैया की आराधना की थी। तब प्रसन्न होकर छठी मैया ने उन्हें सर्वगुण संपन्न तेजस्वी पुत्र होने का वरदान दिया था। इसके बाद अदिति के पुत्र हुए त्रिदेव रूप आदित्य भगवान, जिन्होंने असुरों पर देवताओं को विजय दिलायी। कहते हैं कि उसी समय से देव सेना षष्ठी देवी के नाम पर इस धाम का नाम देव हो गया और छठ का चलन भी शुरू हो गया।

एक कथा के अनुसार राजा प्रियवद को कोई संतान नहीं थी, तब महर्षि कश्यप ने पुत्रेष्टि यज्ञ कराकर उनकी पत्नी मालिनी को यज्ञाहुति के लिए बनायी गयी खीर दी।

इसके प्रभाव से उन्हें पुत्र हुआ परन्तु वह मृत पैदा हुआ। प्रियवद पुत्र को लेकर श्मशान गये और पुत्र वियोग में प्राण त्यागने लगे। उसी वक्त ब्रह्माजी की मानस कन्या देवसेना प्रकट हुई और कहा कि सृष्टि की मूल प्रवृत्ति के छठे अंश से उत्पन्न होने के कारण मैं षष्ठी कहलाती हूँ। हे ! राजन्  आप मेरी पूजा करें तथा लोगों को भी पूजा के प्रति प्रेरित करें। राजा ने पुत्र इच्छा से देवी षष्ठी का व्रत किया और उन्हें पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।

इस पर्व  का नाम छठ कैसे पड़ा 

कार्तिक मास की अमावस्या को दीवाली मनाने के बाद मनाये जाने वाले इस चार दिवसीय व्रत की सबसे कठिन और महत्त्वपूर्ण रात्रि कार्तिक शुक्ल षष्ठी की होती है। कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को यह व्रत मनाये जाने के कारण इसका नामकरण छठ व्रत पड़ा।छठ पूजा यानी सुर्य षष्ठी व्रत पुजा पुरा परिवार के स्वास्थ्य के मंगल कामना एवं प्राकृतिक के रक्षा हेतु की जाने वाली महत्वपूर्ण पुजा है । इस पुजा में गंगा स्थान या नदी तालाब जैसे जगह होना आवश्यक है  यही कारण है कि छठ पूजा के लिए सभी नदी तालाब कि साफ सफाई किया जाता है और नदी तालाब को सजाया जाता है क्योंकि  प्राकृतिक सौंदर्य में गंगा मैया या नदी तालाब मुख्य स्थान है।

 

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