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पटना हाईकोर्ट ने पंचायत प्रतिनिधियों को दी जिम्मेदारी, कोरोना से हुई मौत के आंकड़े 24 घंटो के अंदर सुनिश्चित करे

पटना: बिहार में कोरोना से हुई मौत को लेकर पटना हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाया है। शुक्रवार को सुनवाई करते हुए कोरोना से हुई मौतों के आंकड़ों के सही संकलन के लिए पटना हाईकोर्ट ने अब लोक प्रतिनिधियों को इसकी जिम्मेदारी दी है। पटना हाई कोर्ट ने राज्य सरकार के पंचायती राज विभाग को आदेश दिया है की सूबे में कोरोना से हुई मौतों की सटीक व सही जानकारी 24 घंटे के अंदर दे।  यानी अब राज्य के सभी पंचायती राज संस्थान इसके लिए जिम्मेदार होंगे।

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दरअसल पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने राज्य के तमाम पंचायतों के मुखिया, उप मुखिया, प्रखंडों में प्रमुख, उप प्रमुख और जिला परिषद स्तर पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष को निर्देश दिया है कि उनके क्षेत्रों में जितने भी मौतें होती हैं, उन सबकी जानकारी नजदीकी जन्म व मृत्यु निबन्धकों को 24 घंटे के अंदर दे ।

ऐसा इसलिए ताकि सरकार को यह पता लगाने में सहूलियत हो कि राज्य के ग्रामीण इलाकों में हुई मौतों में कितने लोगों की कोरोना के कारण मौत हुई है। मुख्य न्यायाधीश की खंडपीठ ने यह निर्देश शिवानी कौशिक व अन्य की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है।

हाईकोर्ट कि नहीं बात मानी तो हटा दिया जाएगा

हाईकोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि यदि कोई भी लोक-प्रतिनिधि अपने क्षेत्र में हुई मौत की जानकारी नहीं देते हैं तो इसे उनकी कर्तव्यहीनता माना जाएगा। ऐसे प्रतिनिधियों को कर्तव्यहीनता के आधार पर पंचायती राज कानून के तहत कार्रवाई करते हुए हटा दिया जाएगा। इसके अलावा बिहार के गांव-गांव में कोरोना टेस्टिंग से लेकर आइसोलेशन, दवा आदि की व्यवस्था तभी संभव होगी जब पंचायत प्रतिनिधियों को कोरोना से लड़ने की मुहिम में शामिल किया जाएगा।

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17 मई को होगी सुनवाई

हाईकोर्ट ने कहा कि यह पंचायत प्रतिनिध ही अपने क्षेत्र के भूगोल के बारे में अच्छी तरह से जानकारी रखते है। इसलिए सभी मुखिया, प्रमुख व अध्यक्ष को इसमें कर्तव्य निर्वहन करने का आदेश दिया गया है। कोर्ट के इस निर्देश का अनुपालन कैसे और किस हद तक किया गया है, इसकी जानकारी सरकार को 17 मई की सुनवाई में स्पष्ट बताना होगा।

90 फीसदी जनता ग्रामीण इलाको में रहती है

चीफ जस्टिस की खण्डपीठ ने आगे कहा है कि पूरा राज्य इस समय मेडिकल इमरजेंसी के दौर से गुजर रहा है और यहां लॉकडाउन भी लगा हुआ है। 2011 की जनगणना के हवाला देते हुए कोर्ट ने कहा कि इस राज्य की 90 फीसदी जनता ग्रामीण इलाकों में बसती है और ऐसी बात नहीं कि कोरोना सिर्फ शहरी लोगों को ही होता है।

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तीसरी लहर से लड़ने के लिए रहे तैयार

हाईकोर्ट ने कहा कि दूसरी लहर ने पूरे राज्य में त्राहिमाम मचा दिया है और राष्ट्रीय स्तर पर तीसरी लहर भी आने वाली है।  जहां कोविड के पहले लहर में करीब 40 लाख प्रवासी, बिहार लौटे थे उनमें कितने रह गए या दूसरी लहर में और कितने लौटे, कितनों को संक्रमण हुआ, कितने ग्रामीणो की कोरोना से मौत हुई, इन आंकड़ों को इक्कठा कर के ही हर गांव में मेडिकल इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा सकता है, ताकि पूरा राज्य तीसरे लहर से लड़ने के लिए तैयार रहे।

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