पटना हाईकोर्ट ने गायघाट रिमांड होम को क्लीन चिट देने पर समाज कल्याण विभाग से किया जवाब तलब, कोर्ट ने खुद लिया संज्ञान
पटना: राजधानी पटना से बड़ी खबर आ रही है जहां पटना हाईकोर्ट ने गायघाट रिमांड होम मामले पर सख्त रूख अपनाते हुए स्वतः संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने इस याचिका को कोर्ट के जुवेनाइल जस्टिस मोनिटरिंग कमेटी की अनुशंसा पर रजिस्टर्ड किया है। कोर्ट ने इस मामले पर समाज कल्याण विभाग से जवाब तलब किया है। कमेटी ने उक्त मामले में 31 जनवरी को अखबार में प्रकाशित रिपोर्ट को गंभीरता से लिया है।
समाज कल्याण विभाग ने दी थी क्लीन चिट
दरअसल पटना के गायघाट स्थित महिला रिमांड होम से फरार हुई एक युवती ने रिमांड होम की अधीक्षिका वंदना गुप्ता पर गंभीर आरोप लगाए थे जिसके बाद रिमांड होम की व्यवस्था पर सवाल खड़ा हो गया है। इस मामले में समाज कल्याण विभाग द्वारा टीम गठित कर जांच किया गया था । जिसमे CCTV फुटेज के आधार पर पीड़िता के आरोप को खारिज कर आनन-फानन में रिमांड होम को क्लीन चिट दे दी थी।
कोर्ट ने दिया जांच के आदेश
कोर्ट ने फिलहाल राज्य सरकार के समाज कल्याण विभाग के एडिशनल चीफ सेक्रेटरी को प्रतिवादी बनाते हुए फौरन अपने स्तर से जांच करने का आदेश दिया है। चीफ जस्टिस संजय करोल और जस्टिस एस कुमार की खंडपीठ ने आदेश को पारित किया। साथ ही साथ कोर्ट ने की गई कार्रवाई के संबंध में रिपोर्ट देने को कहा है।
पीड़िता ने लगाया था आरोप
बता दे की पिछले रविवार को ढाई मिनट का एक वीडियो वायरल हुआ था। जिसमें युवती ने रिमांड होम की व्यवस्था को लेकर कई गंभीर आरोप लगाए थे। खबर के मुताबिक पीड़िता और केअर होम में रहने वाली उसके जैसी और अन्य को दवा देकर जबरन अनैतिक कार्यों के लिए मजबूर किया जाता है। पीड़िता ने यह भी आरोप लगाया है कि केअर होम में रहने वाली पीड़िताओं को भोजन और बिस्तर की सुविधाएं भी नहीं मुहैया कराई जाती। यहां तक कि बहुतों को गृह को छोड़ने की अनुमति भी नहीं दी जाती।
दूसरी सुनवाई 7 फरवरी को होगी
वही कमेटी के सामने पीड़िता द्वारा कई चौंका देने वाले खुलासा भी हुए। पीड़िता ने बताया कि अजनबियों को रिश्तेदार बनाकर एंट्री दी जाती थी। जो आकर बेसहारा महिला को उठा कर ले जाते थे। पीड़िता द्वारा किए गए खुलासे के बाद भी कोई FIR दर्ज नहीं की गई। कमेटी में जस्टिस आशुतोष कुमार चेयरमैन हैं, जबकि जस्टिस अंजनी कुमार शरण और जस्टिस नवनीत कुमार पांडेय इसके सदस्य हैं। इस मामले पर अगली सुनवाई 7 फरवरी 2022 को की जाएगी।