Big Bharat-Hindi News

सीवान को अब शहाबुद्दीन नहीं, इस IPS के नाम से जानने लगे लोग, जानिए कौन हैं हरिनारायण चारी मिश्र।।

सिवान: बिहार में हमेशा से सीवान सुर्खियों में रहा है। खासकर बाहुबली पूर्व सांसद शहाबुद्दीन के नाम से। हालांकि, पूर्व सांसद शहाबुद्दीन का इसी साल निधन हो गया था। उसी सीवान को अब लोग आइपीएस हरिनारायण ​चारी मिश्र के नाम से भी जानने लगे हैं। सीवान के इस आइपीएस लाल ने अपने शहर के साथ ही पूरे बिहार को गौरवान्वित किया है। आइपीएस हरिनारायण चारी मिश्र इंदौर के पहले कमिश्नर बनाए गए हैं। ये सीवान के रघुनाथपुर के रहनेवाले हैं। हरिनारायण की मां और भाई अभी भी रघुनाथपुर में रह रहे हैं।

मध्यप्रदेश के इतिहास मेें पहली बार पुलिस प्रणाली में कमिश्नरी सिस्टम को लागू किया गया है। आइपीएस अधिकारी हरिनारायण चारी मिश्र को इंदौर का पहला पुलिस कमिश्नर बनाया गया है। इन्होंने अपना सफर रघुनाथपुर के छोटे से मुहल्ले से शुरू किया है। हरिनारायण ने भी आम बच्चे की तरह सरकारी स्कूल में बोरा पर बैठकर पढ़ाई की है। 2003 बैच के आइपीएस अधिकारी हरिनारायण चारी कहते हैं- ‘युवा अगर लगातार परिश्रम करें तो निश्चित तौर पर हम जीवन में कुछ अच्छा कर सकते हैं। गांव में लोगों को लगता है कि संसाधन नहीं है, युवाओं को लगता है कि हम कम संसाधन में है, लेकिन ऐसा नहीं है। अगर आपके पास इच्छा शक्ति हो और मेहनत करेंगे तो सफलता अवश्य मिलेगी।

पीजी के साथ ही हरिनारायण चारी मिश्रा ने 1998 में PCS परीक्षा को क्रेक किया और उत्तर प्रदेश में ट्रेजडी अधिकारी बन गए। इसके बाद तो ये पीछे मुड़कर नहीं देखे। नौकरी के साथ ही ये सिविल सर्विसेज की भी तैयारी करते रहे। 2001 में IRTS पास कर रेलवे अधिकारी बन गए। रेलवे की नौकरी करते हुए उन्होंने UPSC की तैयारी की और महज एक साल की तैयारी में आइपीएस बन गए। 2002 में UPSC एग्जाम पास करने पर इन्हें मध्यप्रदेश का कैडर मिला।

सीवान के रघुनाथपुर के रहने वाले स्व. माधवाचारी मिश्र के बेटे और इंदौर के प्रथम पुलिस कमिश्नर हरिनारायण चारी मिश्र का जन्म 15 जनवरी 1975 को हुआ था। उनके माता पिता दोनों सरकारी स्कूल के शिक्षक रहे हैं। वे 5 बहनों और 2 भाइयों में दूसरे नंबर पर हैं। उनकी छोटी बहन निधि मिश्रा BPSC क्लियर कर मुजफ्फरपुर में असिस्टेंट प्रोफेसर हैं। हरिनारायण के छोटे भाई दामोदर चारी मिश्र कहते हैं भैया को जब भी समय मिलता है गांव आते हैं। वैसे 6 माह में एक बार तो वह गांव जरूर आते हैं। हमलोगों को बहुत गर्व महसूस हो रहा है कि भैया अपने कर्तव्य निष्ठा और ईमानदारी से कार्य करते हुए इंदौर के पहले पुलिस कमिश्नर बने। वे घर से दूर होते हुए भी अपनी जिम्मेदारियों के साथ गांव में रहने वाले लोगों की भी चिंता करते हैं।।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *