केंद्र और बंगाल टकराव: ममता बनर्जी ने खेला नया दाँव, मुख्य सचिव को सेवानिवृत कर अपना मुख्य सलाहकार नियुक्त किया
कोलकाता: यास तूफ़ान की बैठक को लेकर ममता सरकार और केंद्र सरकार के बीच ताना तानी जारी है। दोनों अपने आपको सिद्ध करने में लगे है की मुख्य सचिव अल्पन बंदोपाध्याय का बॉस कौन बनेगा। इसी होड़ में ममता बनर्जी ने नया दाव खेल दिया। मुख्य सचिव की सेवानिवृति की मंजूरी दे दी और अल्पन बंदोपाध्याय को अपना मुख्य सलाहकार (Chief Advisor) नियुक्त कर लिया। वो आज मंगलवार से सीएम ममता के मुख्य सलाहकार के तौर पर काम शुरू करेंगे।
बता दे सोमवार को ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र लिखकर 28 मई के आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया। वह आदेश अब तक रद्द नहीं किया गया है। ममता ने घोषणा की कि बंदोपाध्याय सोमवार को सेवानिवृत्त हो गए हैं और उन्हें तीन साल के लिए सलाहकार नियुक्त किया गया है।
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इस तरह प्रताड़ित किया जाता है
सीएम ने ममता बनर्जी ने कहा, ‘वो किसी से नहीं डरतीं। हम मरने के लिए तैयार हैं जो डरते हैं वो मरते हैं, करेंगे, लड़ेंगे, जीतेंगे। क्योंकि अलपन के मामले में उन्होंने कोई वजह नहीं दी थी। मैं हैरान हूं। मैंने फैसला किया है कि कोरोना के समय में हमें उनकी सेवाओं की जरूरत होगी।’ ममता बनर्जी ने ये भी कहा कि अलपन का मामला दिखाता है कि किस तरह प्रशासनिक अधिकारियों को प्रताड़ित किया जाता है।
केंद्र सरकार थी एक्शन की तैयारी में
इस बीच केंद्र सरकार के सूत्रों से पता चला है कि उनके खिलाफ चार्जशीट जारी करते हुए एक्शन लेने की तैयारी थी। इससे पहले बंगाल की चीफ सेकेट्री रहे आईएएस अलपन बंदोपाध्याय को दिल्ली में नहीं रिपोर्ट करने को लेकर कारण बताओं नोटिस जारी किया गया था।
यह था मामला
केंद्र ने अलपन बंदोपाध्याय को 28 मई को दिल्ली अटैच करने का आदेश दिया था उसी दिन पीएम नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के साथ यास तूफ़ान की समीक्षा के बैठक को लेकर एक विवाद सामने आया था। जिसमे मीटिंग में ममता बनर्जी और उनके मुख्य सचिव आधे घंटे देरी से बैठक में पहुंचे थे। इसी मामले में 31 मई को उन्हें दिल्ली के नॉर्थ ब्लॉक स्थित डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग में रिपोर्ट करना था लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया।
क्यों हो सकती है कार्रवाई
जानकारों के मुताबिक ऐसी स्थिति में कार्मिक मंत्रालय (Ministry of Personnel) संबंधित अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी कर उनसे स्पष्टीकरण मांग सकता है। जवाब पर आगे की कार्रवाई तय की जाएगी और मामला सुलझने के बाद ही पूरी पेंशन के लिए कार्रवाई की जाएगी।
बिशेषज्ञो की माने तो IAS (कैडर) नियम के तहत निश्चित रूप से केंद्र को राज्य से आईएएस अधिकारियों को वापस बुलाने का अधिकार है, लेकिन इस तरह की वापसी उचित आधार पर और जनहित के लिए होनी चाहिए। इस तरह का निर्णय लेते समय, केंद्र को राज्य के साथ सलाह और सहमति की आवश्यकता होती है । और असहमति की स्थिति में, केंद्र को असाधारण परिस्थितियों का हवाला देना पड़ेगा।
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