Big Bharat-Hindi News

कोयला मंत्री ने कहा- पूरे देश में कोयले का पर्याप्त भंडार मौजूद, राज्यों से किए स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध

दिल्ली: हाल के दिनों में ये अटकले लगाई जा रही है कि देश में कोयला की कमी हो गई है। जिससे बिजली उत्पादन में संकट की आशंका जताई जा रही है। खबरों के मुताबिक इस बीच विदेश से आने वाले कोयले की कीमत बढ़ने से भी देश के कोयला भंडार में कमी आई है। हालांकि कोयला मंत्रालय ने आश्वस्त किया है कि बिजली संयंत्रों की जरूरत को पूरा करने के लिए देश में कोयले का पर्याप्त भंडार मौजूद है। जबकि सूत्रों के अनुसार कोयला खदान वाली जगहों पर भारी बारिश की वजह से देश में कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ है।

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने सिरे से उन राज्यों के आरोपों को खारिज कर दिया जो कह रहे हैं उनके पावर प्लांट के पास कोयला नहीं है। कोयला मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि कल हमने 1.94 मिलियन टन की आपूर्ति की, घरेलू कोयले की अब तक की सबसे अधिक आपूर्ति है। जहां तक राज्यों का सवाल है, इस साल जून तक हमने उनसे स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध किया, उनमें से कुछ ने कहा कि “कृपया एक एहसान करें ‘अभी कोयला मत भेजो।

बारिश की वजह से कोयले की कमी

जानकारी के अनुसार बताया जा रहा है कि बारिश के कारण कोयले में कमी आई है, जिससे अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 60 रुपये प्रति टन से 190 रुपये प्रति टन की वृद्धि हुई। इसके बाद, आयातित कोयला बिजली संयंत्र या तो 15-20 दिनों के लिए बंद हो जाते हैं या बहुत कम उत्पादन करते हैं। इससे घरेलू कोयले पर पड़ा दबाव पड़ा। हमने अपनी आपूर्ति जारी रखी है, यहां तक कि बकाया के बावजूद अतीत में भी जारी रखा है। हम उनसे (राज्यों) स्टॉक बढ़ाने का अनुरोध कर रहे हैं ।

राज्यों ने कहा कोयला मत भेजो

वही कोयला मंत्री यह कहते मैं किसी राज्य का नाम नहीं लेना चाहता हूं लेकिन जनवरी से जून तक हम राज्यों से अनुरोध कर रहे थे कि आप स्टॉक थोड़ा बढ़ाओ। जून में हमें कई राज्यों ने ये भी अनुरोध किया कि हमें कोयला मत भेजो।

केंद सरकार भी जिम्मेदार

अगर ऐसा है तो क्या राज्य सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए केंद्र सरकार पर तोहमत लगा रहे हैं। यह बात सच है कि इस वर्ष मानसून की वजह से ज्यादा बारिश हुई और उसका असर यह हुआ कि कोल माइंस में पानी भर गया और उसकी वजह से कोयले का उत्पादन प्रभावित हुआ। लेकिन केंद्र सरकार भी जिम्मेदारी से नहीं बच सकती है। दरअसल जितनी भी कोल कंपनियां हैं वो सब केंद्र सरकार के अधीन हैं। लिहाजा राज्य कोयले के संबंध में अपनी समस्या किसे बताएगी?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *