वित्त मंत्री ने GST Council की बैठक में लिए कई अहम् फैसले , कोविड-19 से जुड़ी मुफ्त सामग्री पर आई-जीएसटी हटाने का लिया फैसला

नई दिल्ली: वित्त मंत्री की अध्यक्षता में जीएसटी परिषद की 43वीं बैठक का आयोजन शुक्रवार को वीडियो कन्फ्रेंसिंग के जरिए हुआ। परिषद में सभी राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों के वित्त मंत्री और प्रतिनिधि शामिल हुए। इस बैठक में कई मुद्दों पर विस्तृत चर्चा की गयी । उनमे से एक COVID से संबंधित उपकरणों के अहम मुद्दा था जिन पर बहुत विस्तृत चर्चा हुई थी।
निर्मला सीतारमण वित्त मंत्री सीतारमण ने बैठक के बाद कहा कि जीएसटी परिषद ने विदेशों से आयात होने वाली कोविड-19 से जुड़ी मुफ्त सामग्री पर आई-जीएसटी हटाने का फैसला किया है। इसके साथ ही छोटे जीएसटी करदाताओं के लिए देरी से जीएसटी रिटर्न फाइल करने पर विलंब शुल्क घटाने की रियायत योजना की घोषणा की गई है।
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वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों को जीएसटी से होने वाले राजस्व नुकसान की भरपाई के लिए केंद्र 1.58 लाख करोड़ रुपये का कर्ज लेगा। राज्यों को 2022 से आगे मुआवजे के भुगतान पर विचार के लिए जीएसटी परिषद विशेष सत्र का आयोजन करेगी। उन्होंने बताया कि चिकित्सा सामग्री और टीके पर कर ढांचे को लेकर मंत्रियों का समूह विचार विमर्श करेगा।
इसके अलावा परिषद की बैठक में ब्लैक फंगस बीमारी के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दवा एम्फोटेरिसिन-बी (Amphotericin B) के आयात को एकीकृत जीएसटी से छूट देने का फैसला लिया गया है। इस पर वर्तमान में पांच फीसदी की दर से जीएसटी लगता है।
आज के सबसे बड़े फैसलों में से एक छोटे करदाताओं और मध्यम आकार के करदाताओं के अनुपालन बोझ को कम करना है। छोटे करदाताओं को राहत प्रदान करने के लिए विलंब शुल्क, एमनेस्टी से जुड़े मामलों पर भी फैसला हुआ। , इन मामलों में देय विलंब शुल्क को कम करने के लिए एक एमनेस्टी योजना की सिफारिश की गई है।
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वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों की जीएसटी राजस्व की क्षतिपूर्ति के लिए केंद्र सरकार पिछले साल की तरह ही इस साल भी कर्ज उठाएगी और उसे राज्यों को जारी करेगी। इस साल यह राशि 1.58 लाख करोड़ रुपये होगी।
जीएसटी व्यवस्था लागू होने के समय शुरू की गई उपकर व्यवस्था के बारे में वित्त मंत्री ने कहा कि जुलाई 2022 के बाद भी उपकर व्यवस्था को लागू रखने के मुद्दे पर विचार करने के लिए जीएसटी परिषद का एक विशेष सत्र बुलाया जायेगा जिसमें केवल इस बारे में ही चर्चा होगी।
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उल्लेखनीय है कि जुलाई 2017 में जीएसटी व्यवस्था लागू करते समय राज्यों को पांच साल तक उनकी राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई के लिये कुछ खास वस्तुओं पर उपकर लगाने की व्यवस्था शुरू की गई थी। उपकर से मिलने वाली राशि को राज्यों को उनके राजस्व भरपाई के लिए जारी किया जाता है।