बिहार में जानलेवा ब्लैक फंगस के बढे मामले, किसको होगा ज्यादा खतरा, जानिये इसके बचाव और उपाय

पटना : देश भर में कोरोना वायरस का संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है, लेकिन इस बीच कोरोना महामारी से ठीक हो चुके लोगों में ब्लैक फंगस (Black Fungus) के खतरे ने चिंता बढ़ा दी है। म्यूकॉरमाइकोसिस यानी ब्लैक फंगस के सबसे ज्यादा मामले गुजरात में सामने आए हैं। इसके अलावा यह महाराष्ट्र, दिल्ली, मध्यप्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में भी यह मामला तेजी से बढ़ता दिख रहा है।
बिहार में ब्लैक फंगस के दस्तक
बिहार की बात करे तो यहाँ भी ब्लैक फंगस के लक्षण दिख रहे है। बिहार में अब तक 10 से भी ऊपर मामले आ चुके है। एम्स में अबतक ब्लैक फंगस के 10 मरीज भर्ती हो चुके हैं। इससे पहले IGIMS में दो और पारस हॉस्पिटल में भी दो मरीज भर्ती हुए थे। रूबन मेमोरियल में भी दो मरीज भर्ती हैं। इनमें एक महिला और एक पुरुष है। डॉक्टरों का कहना है कि अभी इस बीमारी की दवा उपलब्ध नहीं है, एम्स के नोडल अफसर डॉ. संजीव कुमार के मुताबिक शुक्रवार को जो तीन मरीज भर्ती हुए हैं, उनकी उम्र 30 से 45 के बीच हैं। इनमें दो शुगर से पीड़ित थे। उधर नेत्र रोग विशेषज्ञों के प्राइवेट क्लिनिकों में भी कोरोना से ठीक होने के बाद रोशनी कम होने की शिकायत लेकर प्रतिदिन मरीज पहुंच रहे हैं।
म्यूकरमायकोसिस या ब्लैक फंगस क्या है ?
म्यूकरमायकोसिस (ब्लैक फंगस या काली फफूंद) एक बेहद दुर्लभ संक्रमण है. ये म्यूकर फफूंद के कारण होता है जो आमतौर पर मिट्टी, पौधों, खाद, सड़े हुए फल और सब्जियों में पनपता है. इस फंगस इंफेक्शन को ब्लैक फंगस (Black Fungus) यानी म्यूकरमाइकोसिस कहते हैं. ये फंगस (फफूंद) अक्सर गीले सरफेस पर ही होती है।
इसके बारे में एक्सपर्ट का कहना है कि म्यूकरमायकोसिस एक ऐसा फंगल इन्फेक्शन होता है जिसे कोरोना वाइरस ट्रिगर करता है। यह उन लोगो में आसानी से फ़ैल सकता है जो पहले किसी न किसी बिमारी से जूझ रहे है और जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर होता है। इन लोगो में फंगस इन्फेक्शन से लड़ने कि क्षमता कम होता है।
किसको है ज्यादा खतरा
इंडियन कौंसिल और मेडिकल रिसर्च के अनुसार कुछ खास कंडीशन में ही कोरोना मरीजों में ब्लैक फंगस का खतरा बढ़ता है। जैसे अनियंत्रित डाइबिटीज, स्टेरॉयड कि वजह से कमजोर इम्युनिटी। लम्बे समय तक आईसीयू या अस्पताल में दाखिल रहना, किसी अन्य बीमारी का होना, कैंसर या वोरिकानाजोल थेरोपी, पोस्ट ओर्गाने ट्रांसप्लांट के मामले में ब्लैक फंगस का खतरा सकता है।
ब्लैक फंगस के लक्षण
इस फंगस के मुख्य लक्षण में चेहरे के एक हिस्से में सूजन और आंखाें का बंद हाेना, नाक बंद हाेना, नाक के नजदीक सूजन होना, मसूड़ाें में सूजन, पस पड़ना, दांताें का ढीला हाेना, तालू की हड्डी का काला हाे जाना, आंखें लाल हाेना, राेशनी कम हाेना जैसे लक्षण देखे जा सकते है।
ब्लैक फंगस से बचाव के उपाय
- कोरोना संक्रमित डॉक्टरों के परामर्श बना रहे
- कुशल चिकित्सक के परामर्श के बिना खुद से स्टेरॉयड नहीं लें।
- नियमित शुगर स्तर की जांच कराते रहें।
- कमजोर रोग प्रतिरोधक क्षमता वाले विशेष सावधानी बरतें।
- डेक्सोना जैसी दवाओं के हाई डोज का इस्तेमाल चिकित्सक की सलाह पर करें।
- AC कल्चर से तत्काल दूर हो जाएं।
- नमी और डस्ट वाली जगहों पर नहीं जाएं।
- ऑक्सीजन पर होने से पाइप बदलते रहें।
- मास्क के साथ पूरे शरीर को ढकने वाले कपड़े पहने।