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सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र पर की सवालो की बौछार , सोशल मीडिया पर बेड और ऑक्सीजन पर दर्द बया करने वालो पर कार्रवाई न करने के दिए निर्देश

दिल्ली: देश में कोरोना संकट  को लेकर शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में आज अहम सुनवाई हुई। जिसके तहत  सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कोविड को लेकर नेशनल प्लान के बारे में पूछा साथ ही चिंता भी जतायी। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सोशल मीडिया पर जो लोग अपनी परेशानियां जता रहे हैं उनके साथ बुरा व्यवहार नहीं होना चाहिए। अगर ऐसा हुआ तो अदालत की अवमानना समझा जायेगा।

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नागरिको की परेशानी पर संदेह नहीं करना चाहिए

सुप्रीम कोर्ट के आदेशानुसार कोरोना पर सूचना के प्रसार पर कोई रोक नहीं होनी चाहिए। कोविड-19 संबंधी सूचना पर रोक अदालत की अवमानना मानी जाएगी। इस सबंध में पुलिस महानिदेशकों को निर्देश जारी किए जाएं। उच्चतम न्यायालय ने केंद्र से कहा कि सूचनाओं का मुक्त प्रवाह होना चाहिए। हमें नागरिकों की आवाज सुननी चाहिए। इस संबंध में कोई संदेह  नहीं होनी चाहिए कि नागरिकों द्वारा इंटरनेट पर की जा रही शिकायतें गलत हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने के केंद्र पर की सवालो की बौछार

उच्चतम न्यायलय के जस्टिस चंद्रचूड़ ने केंद्र सरकार पर सवालो की झड़ी लगा दी।  कोर्ट ने पूछा कि टैंकरों और सिलेंडरों की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए क्या उपाय किए गए हैं? आखिर ऑक्सीजन की आपूर्ति कब तक होगी? वही  जिन लोगों के पास इंटरनेट सेवा अभी तक पहुंची नहीं है या जो निरक्षर हैं, वे वैक्सीन के लिए कैसे रजिस्ट्रेशन करेंगे। क्या केंद्र और राज्य सरकारों के पास कोई योजना है?  वैक्सीनेशन को लेकर कोर्ट ने केंद्र को राष्ट्रीय टीकाकरण मॉडल अपनाने की सलाह दी , क्योंकि गरीब टीके का मूल्य चुकाने में सक्षम नहीं होंगे।

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धार्मिक स्थानों पर भी इलाज केंद्र बनाये जाये

इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि छात्रावास, और धार्मिक स्थलों जैसे मंदिर, गिरिजाघर और अन्य स्थानों को भी कोरोना मरीजों की इलाज के लिए केंद्र बनाने के लिए खोले जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम यह स्पष्ट करना चाहते हैं कि यदि कोई व्यक्ति सोशल मीडिया पर अपनी शिकायत दर्ज कराते हैं तो इसे गलत जानकारी नहीं कहा जा सकता है। ऐसी शिकायतों पर अगर कार्रवाई के लिए विचार किया जाता है ,तो हम इसे अदालत की अवमानना समझेंगे।

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