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सुप्रीम कोर्ट के वकीलों एवं सेना के पूर्व प्रमुख ने संतो के हेट स्पीच को लेकर जतायी आपत्ति, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भी लिखा पत्र

नई दिल्ली:  देश में इन दिनों संविधान और कानून को ताक पर रखकर खुलेआम सांप्रदायिक भाषाण दिए जा रहे हैं। भाषण में मंचों से धर्म-विशेष के लोगों को लोगो को भड़काने का काम हो रहा है । इस क्रम में दिल्ली, छत्तीसगढ़ और हरिद्वार में ऐसे कार्यक्रम हुए हैं। इसके खिलाफ  जागरूक नागरिक आवाज़ भी उठा रहे हैं। इस सन्दर्भ में महामहिम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर कार्रवायी करने की मांग की गयी है।

तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप करने की मांग की

दरअसल सशस्त्र बलों के पांच पूर्व प्रमुखों, नौकरशाहों समेत अन्य प्रसिद्ध लोगों ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को इन सम्मेलनों पर आपत्ति जताते हुए पत्र लिखा है। उन्होनें ‘भारतीय मुसलमानों के नरसंहार के आह्वान’ करने वालों के खिलाफ कार्यवाई करने की मांग की है। इस पत्र में राष्ट्रीय सुरक्षा और ‘हिंसा को उकसाने’ के बारे में लिखा गया है।

पत्र लिखने वालों ने  चिंता जताया  है कि अगर देश के अंदर इस तरह के बयानों से अशांति फैली तो सीमा की सुरक्षा कर रहे जवानों पर और भार बढ़ेगा। पहले से ही सीमा विवादों के चलते हालात नाज़ुक हैं। पत्र में “तत्काल न्यायिक हस्तक्षेप” करने की मांग की गई है। सुप्रीम कोर्ट के 76 वकीलों ने भी भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमन्ना को पत्र लिखा था, जिसमें सुप्रीम कोर्ट से हिंसा के आह्वान को रोकने के लिए कदम उठाने के लिए कहा गया है।

शपथ में क्या कहा गया ?

सूत्रों के अनुसार  19 दिसंबर को  ट्विटर हैंडल से एक वीडियो शेयर किया गया  था। वीडियों में एक हॉल के अंदर भगवा वस्त्र पहने बहुत से लोग ‘जय श्री राम’ के नारे लगाते नज़र आ रहे थे। हाथ में माइक लिए  मौजूद लोगों को शपथ दिलवाया जा  रहा था , शपथ में कहा जा रहा था – ”हम सब शपथ लेते हैं, वचन देते हैं, संकल्प लेते हैं कि अपने अंतिम प्राण के क्षण तक इस देश को हिन्दू राष्ट्र बनाने के लिए, बनाए रखने के लिए, आगे बढ़ाने के लिए लड़ेंगे… मरेंगे… जरूरत पड़ी तो मारेंगे। किसी भी बलिदान के लिए, किसी भी कीमत पर… एक क्षण भी पीछे नहीं हटेंगे।”

इसके अलावा, हरिद्वार का हालिया ‘धर्म संसद’ भी भारत में हिन्दुत्व के नाम पर फैल रहे आतंकवाद का सबसे पुष्ट उदाहरण है। इस धर्म संसद में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को गोली मारने से लेकर, मुसलमानों के नरंसहार, और सरकार के खिलाफ युद्ध छेड़ने तक की धमकी दी गई। साथ ही भारत को ‘हिंदू राष्‍ट्र’ बनाने के लिए हर संभव संघर्ष करने का भी आह्वान किया गया।

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