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Jai Bhim Review: पुलिस सिस्टम पर तंज और भेदभाव की कहानी बयां करती जय भीम वैश्विक प्लेटफॉर्म पर हुई रिलीज

नई दिल्ली: अमेजन प्राइम वीडियो ने भारत और 240 देशों व क्षेत्रों में कोर्ट रूम ड्रामा जय भीम (Jai Bhim) की वैश्विक रिलीज 2 नवंबर मंगलवार को कर दी। टीजे ज्ञानवेल द्वारा लिखित और निर्देशित और 2 डी एंटरटेनमेंट के बैनर तले सूर्या और ज्योतिका द्वारा निर्मित, बहुप्रतीक्षित तमिल फिल्म में सूर्या ने वकील की भूमिका निभाई है जो आदिवासी समुदायों के हक के लिए लड़ रहा है। इस फिल्म की टीम में प्रकाश राज, राव रमेश, राजिशा विजयन और लिजो मोल जोस जैसे शानदार कलाकार शामिल हैं। वही  जय भीम (Jai Bhim) का संगीत शॉन रोल्डन ने दिया है और इसे राजसेकर कर्पूरसुंदरपांडियन द्वारा सह-निर्मित किया गया है।

सच्ची घटना

जय भीम फिल्म को लेकर निर्देशक टीजे ज्ञानवेल का कहना है  कि हम फिल्म में जो देखने जा रहे हैं, वह उनकी कल्पना की उड़ान नहीं है। फिल्म की घटनाएं वास्तव में लोगों के एक समूह के साथ हुईं। हम यह नहीं जान पाएंगे कि हमारे विशाल लोकतांत्रिक ढांचे की दरारों में रहने वाले लोगों के लिए यह कैसा है। एक ऐसा व्यक्ति होना कैसा होता है, जिसके पास पहचान पत्र भी नहीं है? या जिनके शरीर और गरिमा को हल्के में लिया जाता है, और उन्हें रूह कंपा देने वाली यातनाये दी जाती है, जिसकी हम कल्पना भी नहीं कर सकते है।

बता दे यह फिल्म ‘ इरुलुर आदिवासी समुदाय के एक जोड़े सेंगगेनी और राजकन्नू की कहानी है। लेकिन उस वक्त उन पर दुर्भाग्‍य का पहाड़ टूट जाता है जब झूठे आरोप में पुलिस गिरफ्तार कर लेती है और इसके बाद वह पुलिस हिरासत से लापता हो जाता है। ऐसे में उसकी  गर्भवती पत्नी  अपने पति की तलाश करती है, इसलिए उनके पति को खोजने और उनके लिए न्याय की मांग करने के लिए एक उच्च न्यायालय का वकील  चंद्रू (सूर्या द्वारा निभाया गया किरदार) समर्थन में खड़ा होता है। जो सच्चाई का पता लगाने और राज्य की निराश्रित आदिवासी महिलाओं को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी लेता है। इस तरह इंसाफ की जंग को लेकर इस फिल्म की कहानी को रचा गया है।

आज भी कुछ नहीं बदला

दरअसल फिल्म में 1995 के दौरान के हालातों को दिखाया गया है। इसके साथ ही इस बार पर भी पूरा जोर दिया गया है कि आज भी हालात बहुत से हिस्सों में निचले जाति  के लोगों के लिए कुछ खास बदले नहीं हैं। फिल्म में पुलिस के अत्याचारों को दिखाया गया है, जहां उनके चंगुल से कोई भी नहीं बच सकता है। वहीं सिस्टम पर भी तंज कसते हुए दिखाया गया है कि जब कोई बड़ा अधिकारी किसी छोटे को कुछ करने के लिए कहता है तो, चाहें वो गलत हो या सही, सवाल नहीं पूछा जाता बस कर दिया जाता है।

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