मकर संक्रांति को लेकर आरजेडी और जदयू की टूटी सियासी परम्परा : 26 साल से चली आ रही थी

मकर संक्रांति: बिहार में आरजेडी और जदयू के बीच मकर संक्रांति के दिन दही चूड़ा भोज की सियासी परम्परा चली आ रही है। लेकिन 26 सालो के बाद यह परम्परा टूटता दिख रहा है। कोरोना संक्रमण के दौर में इस बार सियासी गलियारों में दही चूड़ा का भोज आयोजन नहीं किया जायेगा। न ही राजनीतितिक दलों के बीच गहमा गहमी देखी जा रही है।
बता दे की इस परम्परा की शुरुआत लालू प्रसाद यादव ने 1994-95 में किये थे। जब वे बिहार के मुख्यमंत्री थे। उन्होंने आम लोगो को जोड़ने के लिए दही चूड़ा भोज का आयोजन किया था। इसकी खूब चर्चा हुई थी। बाद में यह आरजेडी की परंपरा बन गयी । लालू यादव के जेल जाने के बाद भी आरजेडी ने यह परंपरा जारी रखी। महागठबंधन सरकार के दौर में साल 2017 में लालू यादव ने नितीश कुमार को दही का टिका लगाकर राजनितिक सन्देश दिया था। आरजेडी और जदयू साथ – साथ है। लेकिन यह कोशिश नाकाम रही। हाल के दिनों में आरजेडी और जदयू के बीच राजनितिक संकेत कटे कटे दिखे है। बिहार में एक बार फिर से राजनितिक कयासों के बीच दही चूड़ा भोज का इन्तजार था। लेकिन इस बार की मकर संक्रांति बिना राजनितिक संकेत के दीखता प्रतीत हो रहा है।
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वही आरजेडी के तरफ से लालू प्रसाद यादव ने मकर संक्रांति को लेकर सोशल मीडिया पर सन्देश जारी किया है। उन्होंने अपने विधायकों और पार्टी के अन्य नेताओ को गरीबो को दही चूड़ा खिलाने का निर्देश दिया।
राष्ट्रीय अध्यक्ष आदरणीय श्री @laluprasadrjd जी का निर्देश है कि सभी विधायक, नेतागण, कार्यकर्ता मकर संक्रांति के दिन गरीब-गुरबो को दही-चूड़ा भोज कराए।
— Rashtriya Janata Dal (@RJDforIndia) January 12, 2021
जबकि जदयू के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने औपचारीक रूप से सन्देश जारी करते हुए कहा है – कोरोना के वजह से हमलोगो ने भी संक्रांति पर भोज आयोजित नहीं किया है।