तेजस्वी यादव आज एक्शन में नजर आए, कहा- भ्रष्टाचार से मुझे सख्त एलर्जी है, स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए दिया 60 दिनों का लक्ष्य
पटना: बिहार के डिप्टी सीएम और स्वास्थ्य मंत्री तेजस्वी यादव आज एक्शन में नजर आए। तेजस्वी यादव ने आज सरकारी अधिकारियों और कर्मचारियों को सीधी चेतावनी दे डाली। उन्होंने स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार के लिए अधिकारियों को कि 60 दिनों का लक्ष्य दिया। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार से मुझे सख्त एलर्जी है। सुधर जाए वरना हम सुधार देंगे।
दरअसल कल देर रात तेजस्वी यादव ने पटना के पीएमसीएच समेत दूसरे सरकारी अस्पतालों का औचक निरीक्षण किया था। सरकारी अस्पतालों की दुर्दशा पर तेजस्वी जमकर भड़के थे। इसके बाद तेजस्वी यादव ने आज स्वास्थ्य विभाग की हाई लेवल मीटिंग बुला ली और स्वास्थ्य विभाग की समीक्षा बैठक की। स्वास्थ्य विभाग के शीर्ष अधिकारी, सभी जिलों के सिविल सर्जन, बिहार के सभी मेडिकल कॉलेजों के मेडिकल सुपरिटेंडेंट और डीपीएम उपस्थित थे।
आई एम एलर्जिक टू करप्शन: तेजस्वी यादव
मीटिंग के दौरान उन्होंने कहा आई एम एलर्जिक टू करप्शन (मुझे भ्रष्टाचार से एलर्जी है)। स्वास्थ्य विभाग में किसी तरह का घोटाला, घूसखोरी और भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। मैं पिछले मंत्री की तरह स्कोर नहीं पूछूंगा बल्कि काम देखूंगा। उसी के आधार पर आपकी सेवा का मूल्यांकन किया जायेगा। उन्होंने जिला सदर अस्पतालों और मेडिकल कॉलेजों में स्वास्थ्य सेवा में सुधार का 60 दिनों का लक्ष्य दिया है। जिसमें सफ़ाई, दवाई, सुनवाई और कारवाई सुनिश्चित करना शामिल है।
अधिकारियों को दिए निर्देश
वही तेजस्वी ने बिहार के सरकारी अस्पतालों में मरीजों की सुविधा के लिए कई आदेश जारी किये हैं। उन्होंने बिहार के सभी सदर और बड़े अस्पतालों में 24 घंटे उचित स्टाफ़ के साथ हेल्प डेस्क और शिकायत डेस्क बनाने का आदेश दिया है। सारे सरकारी अस्पतालों में मरीज़ों को भर्ती करने से लेकर एम्बुलेंस , शव वाहन, रेफ़रल की सहज और आसान सुविधा देने की व्यवस्था करने को कहा गया है। सारे सरकारी अस्पतालों में मृत्यु प्रमाण पत्र जारी करने की प्रक्रिया को भी आसान बनाने का निर्देश दिया है।
अस्पताल में खाली पद तत्काल भरे जायें
तेजस्वी यादव ने आज की मीटिंग में कहा कि अगर किसी अस्पताल में डॉक्टर, पारा मेडिकल स्टाफ या दूसरे किसी कर्मचारी की कमी है तो उसे तुरंत भरा जाये। सरकारी अस्पतालों में दवा मिलनी चाहिये और जांच के लिए जो भी मशीन हैं उन्हें चालू हालत में होना चाहिये. सारे जिला अस्पतालों को रेफरल पॉलिसी के गाइडलाइंस को चालू करने को कहा गया है।