चिराग ने की प्रेस कॉन्फ्रेंस: लोकजनशक्ति पार्टी का संविधान क्या कहता है? दूसरा राष्ट्रीय अध्यक्ष होने दावा कैसे कर सकता है?
नई दिल्ली : लोक जनशक्ति पार्टी में मौजूदा घटनाक्रम को लेकर एलजेपी अध्यक्ष चिराग पासवान ने दिल्ली में प्रेस कॉन्फ्रेंस की। जहाँ अपनी चुप्पी तोड़ते हुए अपने चाचा पशुपति कुमार पारस को जिम्मेदार ठहराया। चिराग पासवान ने बताया है कि वह कभी परिवार के अंदर चल रही चीजों को राजनीतिक तौर पर सामने नहीं लाना चाहते थे, लेकिन अपने पिता की मौत के बाद कई बार चाचा पशुपति कुमार पारस ने परिवार से लेकर पार्टी तक को तोड़ने की कोशिश की।
चाचा पशुपति से बात करने की कोशिश
चिराग पासवान ने कहा कि लोक जनशक्ति पार्टी का अध्यक्ष होने के नाते उनकी यह जिम्मेदारी थी कि वह कभी न कभी कोई सख्त कदम उठाएं। उन्होंने बताया की जिस वक्त मुझे पता चला की पशुपति पारस ने संसदीय दल का नेता चुने जाने का दवा पेश करते हुए लोकसभा अध्यक्ष को पत्र सौपे है। इसके बाद उनसे बातचीत करने की भी कोशिश की, उनकी मां रीना पासवान ने भी पारस अंकल से बात करने का प्रयास किया लेकिन पशुपति पारस ने उन लोगों से बातचीत नहीं की।
मज़बूरी में लेना पड़ा फैसला
आखिरकार मजबूरी में मुझे राष्ट्रीय अध्यक्ष होने के नाते चाचा पशुपति पारस समेत पांच सांसदों को पार्टी से बाहर करने का फैसला लेना पड़ा और वह भी संवैधानिक तरीके से पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाकर फैसला लिया गया। उन्होंने कहा की पार्टी को मजबूत बनाने के लिए और अनुशासन बनाए रखने के लिए यह फैसला किया गया
लोजपा का संविधान
चिराग पासवान ने कहा कि जो लोग भी उनके अध्यक्ष होने पर सवाल उठा रहे हैं, उन्हें समझना चाहिए कि लोक जनशक्ति पार्टी का संविधान क्या कहता है। जिस तरह से पशुपति पारस को संसदीय दल का नेता चुना गया वह बिलकुल गलत है। इसका फैसला पार्टी की संसदीय कमिटी या राष्ट्रीय अध्यक्ष को करना होता है। अध्यक्ष पद सिर्फ दो परिस्थितियों में खाली हो सकता है। पहला निधन होने पर दूसरा खुद से रिजाइन करने पर या पार्टी के संविधान के अनुसा राष्ट्रीय कार्यकारिणी, राष्ट्रीय अध्यक्ष के नाम पर मुहर लगा दे। तब तक कोई दूसरा राष्ट्रीय अध्यक्ष होने दावा कैसे कर सकता है।