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मकर संक्रांति के दिन हथिया पत्थर मेले में होती है श्रद्धालुओं की भीड़, इस मेले का अलग ही है इतिहास

मकर संक्रांति में बोकारो जिले में होता है हथिया पत्थर मेले का आयोजन, ऐसी मान्यता है की मकर संक्रांति के दिन जो कोई भी इस पत्थर की पूजा अर्चना करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है।

बोकारो: झारखण्ड के बोकारो जिले में मकर संक्रांति का त्यौहार का अलग ही इतिहास है। इस  मौके पर बोकारो जिले में दामोदर नदी पर हथिया पत्थर मेले का आयोजन किया जाता है। लोग यहां बीच नदी में पत्थर की आकृति के बने हाथी व मंदिरों में पूजा अर्चना करते हैं। इस दौरान यहां हजारों श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ती है। वहीं, नदी किनारे आयोजित मेले में लोग स्वादिष्ट व्यंजनों का आनंद भी उठाते है।

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ऐसी मान्यता है की मकर संक्रांति के दिन जो कोई भी इस पत्थर की पूजा अर्चना करता है उसकी हर मनोकामना पूर्ण होती है। इस बात को जानने और सुनने वाले लोग दूर-दूर से यहां अपनी मनोकामना ले कर आते हैं। यह परंम्परा सौ सालों से चली आ रही है।

इसके पीछे एक है दिलचस्प कहानी

इसके पीछे एक दिलचस्प कहानी है, कहा जाता है एक बार क्षेत्र के राजा बारात लेकर जा रहे थे लेकिन बीच में दामोदर नदी को पार करना मुश्किल हो रहा था क्योंकि उस समय नदी पूरे उफान पर थी। यह देखकर राजा नदी से विनती करने लगा राजा ने कहा अगर बाराती सकुशल लौट आयेंगे तो नदी में पूजा पाठ करके भोग चढ़ाया करेंगे और बकरे की बलि भी दी जाएगी। राजा की विनती करने के बाद नदी में आया तूफान कम होने लगा। जिसके बाद राजा अपने बारातियों के साथ नदी को पार कर गए।

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राजा अपने बात से मुखर गया

लेकिन नदी पार करने के बाद राजा अपने बात से मुखर गया। राजा कहने लगा नदी पार कर गए तो पूजा कैसी। इतना बोलते ही राजा पत्थर के हो गए। यहीं नहीं राजा के साथ बारात में शामिल सभी बाराती हाथी-घोड़े समेत पत्थर के बन गए। वह बड़ा पत्थर राजा के बारातियों में शामिल उसी हाथी की बताई जाती है। इस घटना के बाद से दामोदर नदी के तट पर मकर संक्रांति के दिन उसी हथिया पत्थर की पूजा-अर्चना होती है और वहां भव्य मेला का आयोजन होता है।

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