शराबबंदी मामले में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और अधिकारियों के बीच चली 7 घंटे तक मंथन, लिए अहम् फैसले

- बॉर्डर भी होंगे सील
- 10 सालों तक थानेदारी नहीं रहेगी
- भूमिका पाए जाने पर होंगे डिसमिस
- सुचना नहीं दिए जाने पर होगी कार्रवाई
बिहार:- शराबबंदी कानून के लेकर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज यानी कि 16 नवंबर को सात घंटे तक समीक्षा बैठक की । बैठक में सभी जिलों के अधिकारी भी इस शराबबंदी की बैठक में वर्चुअल तरीके से जुड़े थे। इसमें संबंधित विभाग के अधिकारियों से फीडबैक लिया गया इसके बाद प्रेस कॉफ्रेंस कर DGP एसके सिंघल ने बैठक में हुए निर्णयों को प्रेस के सामने रखा।
बॉर्डर भी होंगे सील
समीक्षा के बाद डीजीपी ने कहा कि सबसे जो महत्वपूर्ण बात है वह यह है कि इंटेलिजेंस मशीनरी को और बढ़ा कर छापेमारी करनी है। जो शराब का व्यापार कर रहे उन पर सख्त कार्रवाई करनी है। किसी भी जिले के थाने में केंद्रीय टीम जाती है और शऱाब बरामद होती है तो थानेदार पर कार्रवाई होगी। बॉर्डर इलाके में शराब मिलने पर बॉर्डर ब्लॉक होगा। हमारा प्राईमरी ड्यूटी क्राइम कंट्रोल है इसमें कोई कमी नहीं करते हुए शराबबंदी को भी सफल बनाना है।
10 सालों तक थानेदारी नहीं रहेगी
आगे उन्होंने कहा कि किसी थानेदार की शिकायत आती है तो उसे 10 सालों तक थानेदारी नहीं मिलेगी। अगर सीधी भूमिका आती है तो उसे डिसमिश कर दिया जायेगा। पुलिस मुख्यालय के स्तर पर लगातार रिव्यू करना है कि जो निर्देश दिया जा रहा वो जमीन पर उतर रहा या नहीं। डीजीपी एस. के. सिंघल ने बताया कि चौकीदार-दफादार की बुनियादी जिम्मेदारी गांव के संबंध में जानकारी देनी है। उन्हें शराब के बारे में सूचना देना है। अगर वे यह काम नहीं करते हैं तो उन पर भी कार्रवाई होगी।
पुलिसकर्मी कैसे करेगी पहचान?
DGP एसके सिंघलने कहा कि लगातार छापेमारी अभियान चलाया जाएगा। दूसरे राज्यों से शराब की तस्करी रोकने पर बैठक में चर्चा हुई है। और कहा गया कि जो आज स्थानीय पुलिस प्रशासन और चौकीदार हैं अगर शराबबंदी को लेकर अगर सूचना मिलते हैं अगर थाने में अगर नहीं सूचना देती है उन पर कार्रवाई होगी।