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Agneepath Scheme: सरकार द्वारा अग्निपथ’ योजना लागु करने पर रक्षा विशेषज्ञों ने जताई चिंता, कहा- सशस्त्र बलों के लिए ख़तरे की घंटी

नई दिल्ली:  मंगलवार को केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार ने भारतीय सेना में ‘अग्निपथ’ (Agneepath Scheme) नाम की योजना का घोषणा की है, जिसके तहत अल्प अवधि के लिए सेना में नियुक्ति की जायेगी  । बता दे इस  योजना का एलान 14 जून 2022 मंगलार को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और तीनों सेनाओं के प्रमुख ने साझा प्रेस कान्फ्रेंस में किया। इस योजना के तहत चार साल के लिए युवाओं को भर्ती किया जाएगा। इस योजना के तहत सेना में शामिल होने वाले वीरों को अग्निवीर कहा जाएगा।

इस योजना को लेकर रक्षा विशेषज्ञों और , सेना में अहम पदों पर रह चुके कुछ लोगों ने इस  चिंता जताई है।

पी के सहगल के मुताबिक़  इस योजना के तहत 46 हजार लोगो को एक साथ  सेना में भर्ती की जायेगी लेकिन 4 साल बाद उन्हें निराशा हाथ लगेगी क्योकि जब कोई आर्मी से रिटायर्ड होता है तो वह आम जीवन जीने लगता है। उन्हें कोई बेहतर नौकरी नहीं मिलती, जवानो को कॉर्पोरेट वर्ल्ड भी नहीं लेता है। आसानी से इन्हे रेडिकलाईज किया जा सकता है। दूसरे कामो में इन्हे आसानी से लगाया जा सकता है जो देश के लिए चुनौती साबित हो सकता है। 4 साल के बाद अग्नवीरो को पता चलेगा की सरकार ने इस्तेमाल करके इन्हे सर्टिफिकेट पकड़ाकर फेंक दिया है।

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सेना में अहम पद पर रह चुके बिरेंदर धनोआ ने ट्वीट किया, “पेशेवर सेनाएं आमतौर पर रोज़गार योजनाएं नहीं चलाती…. सिर्फ़ कह रहा हूँ.”

यानी जब एक बड़ी संख्या में हथियार चलाने के लिए प्रशिक्षित किए गए युवा नौकरी की अवधि पूरी होने पर वापस लौटेंगे तब क़ानून-व्यवस्था से जुड़ी समस्या खड़ी हो सकती है। अभी तक एक फ़िट जवान की ड्यूटी 10 से 15 साल के लिए होती है।

सशस्त्र बलों के लिए ख़तरे की घंटी

रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल विनोद भाटिया ने इस योजना पर लिखा, “सशस्त्र बलों के लिए ख़तरे की घंटी है।  इसका पायलट प्रोजेक्ट लाए बिना ही लागू कर दिया गया। समाज के सैन्यीकरण का खतरा।  हर साल क़रीब 40 हज़ार युवा बेरोज़गार होंगे। ये अग्निवीर हथियार चलाने में पूरी तरह प्रशिक्षित नहीं होंगे। अच्छा विचार नहीं है। इससे किसी को फ़ायदा नहीं होगा।”

आंतरिक सुरक्षा से संबंधित समस्या पैदा हो जाएगी।

एक सेवानिवृत्त लेफ़्टिनेंट जनरल ने टेलिग्राफ़ को बताया, “ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि जिन लोगों ने इस योजना को लाने का फ़ैसला किया है, उन्हें सेना के बारे में कोई जानकारी नहीं। न तो उन्होंने और न ही उनके बच्चों ने कभी भी सेना में सेवा दी होगी.” उन्होंने देश में बेरोज़गारी को देखते हुए कहा कि हज़ारों अग्निवीर चार साल तक सशस्त्र बलों में सेवा देंगे, इन्हें हथियार चलाने की ट्रेनिंग मिलेगी और इसके बाद जब ये नौकरी से लौटेंगे तब देश में एक अलग तरह की आंतरिक सुरक्षा से संबंधित समस्या पैदा हो जाएगी।

 इस योजना का मक़सद लगातार बढ़ रहे वेतन और पेंशन के बोझ को कम करना है।

रक्षा मंत्रालय के एक अधिकारी ने अख़बार को बताया, “इस योजना के तहत सरकार पेंशन के साथ ही अन्य भत्तों पर बचत करेगी। अग्निवीरों के लिए वेतन के लुभावने मोटे पैकेज, पूर्व सैनिकों का दर्जा और स्वास्थ्य स्कीम में अंशदान की ज़रूरत नहीं होगी।”

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