ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान का गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा ने किया समर्थन तो औवेसी ने उठाया सवाल

ज्ञानवापी मस्जिद विवाद : मध्य प्रदेश के गृह मंत्री नरोत्तम मिश्रा ने चुनावी माहौल के बीच संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर कहा – “मैं उनकी बात से सहमत हूं। मोहन भागवत ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर कल नागपुर में कहा था – कि हर मस्जिद में रोज शिवलिंग क्यों देखते हैं? झगड़ा क्यों? वह भी एक पूजा है जिसे उन्होंने अपनाया है। हमें सबको जोड़ना है। संघ भी सबको जोड़ने का काम करता है जीतने के लिए नहीं। नरोत्तम मिश्रा ने संघ प्रमुख के इसी बयान का समर्थन किया।”
जबकि अखिल भारतीय मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने शुक्रवार को ज्ञानवापी विवाद (Gyanvapi Masjid Controversy) पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के प्रमुख मोहन भागवत (Mohan Bhagwat) की टिप्पणियों पर जमकर आलोचना करते हुए कहा, “विश्व हिंदू परिषद के गठन से पहले, अयोध्या संघ के एजेंडे में भी नहीं था।”
ANI के साथ वर्चुअल बातचीत में, ओवैसी ने कहा, “ज्ञानवापी पर भागवत के भाषण को नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए। बाबरी मस्जिद के लिए आंदोलन को याद करें जो ऐतिहासिक कारणों से आवश्यक था। उस समय, RSS ने सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का सम्मान नहीं किया और इसमें भाग लिया। फैसले से पहले मस्जिद को तोड़ा। क्या इसका मतलब यह है कि वे ज्ञानवापी पर भी कुछ ऐसा ही करेंगे?
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ओवैसी ने आरएसएस प्रमुख की नसीहत पर सवाल उठाया
बातचीत के दौरान ओवैसी ने बीजेपी (BJP) प्रमुख जगत प्रकाश नड्डा (JP Nadda) और आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की ओर से देश में शांति और सद्भाव सुनिश्चित करने की नसीहत पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा, “इन मुद्दों पर नसीहत देने वाले मोहन या नड्डा कौन हैं? उनके पास कोई संवैधानिक पद नहीं है। प्रधान मंत्री कार्यालय को इस मुद्दे पर और पूजा स्थल अधिनियम, 1991 के संबंध में एक स्पष्ट संदेश देना चाहिए। उन्होंने संविधान की शपथ ली है। ऐसे में अगर वह इसके साथ खड़े होते हैं, तो इन मुद्दों का निदान हो जाएगा।”
मोहन भगवत का बयान
आरएसएस प्रमुख ने कल नागपुर में कहा था “ज्ञानवापी का एक इतिहास है जिसे हम अभी नहीं बदल सकते। हमने वह इतिहास नहीं बनाया। इसे न आज के हिंदुओं ने बनाया और न ही आज के मुसलमानों ने, ये उस समय घटा। इस्लाम यहां आक्रमणकारियों के साथ आया था। इन हमलों में इस देश की आजादी चाहने वालों का मनोबल गिराने के लिए मंदिरों को तोड़ा गया। ऐसे हजारों मंदिर हैं। हिंदुओं के दिलों में खास महत्व रखने वाले मंदिरों के मुद्दे अब उठाए जा रहे हैं… रोज कोई नया मुद्दा नहीं उठाना चाहिए। झगड़े क्यों बढ़ाते हैं?
आगे उन्होंने कहा ज्ञानवापी को लेकर हमारी आस्था पीढ़ियों से चली आ रही है। हम जो कर रहे हैं वह ठीक है। लेकिन हर मस्जिद में शिवलिंग की तलाश क्यों? मस्जिदों में जो होता है वह भी इबादत का ही एक रूप है। ठीक है, यह बाहर से आया है। लेकिन जिन मुसलमानों ने इसे स्वीकार किया है, वे बाहरी नहीं हैं, इसे समझने की जरूरत है। भले ही उनकी प्रार्थना बाहर (इस देश) से हो, और वे इसे जारी रखना चाहते हैं तो अच्छी बात है। हमारे यहां किसी पूजा का विरोध नहीं है”