ग्रामीणों को 10 रुo में मिलेगा LED Bulb , ग्राम उजाला प्रोग्राम की बिहार में आरा से हुई शुरुआत, केंद्रीय मंत्री आरके सिंह ने की की शुरुआत

नई दिल्ली: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आरके सिंह ने शुक्रवार को गांवों में सस्ती दर पर उच्च गुणवत्ता के एलईडी बल्ब (LED Bulb) उपलब्ध कराने की योजना “ग्राम उजाला प्रोग्राम” (Gram Ujala Programme) की शुरुआत की। सिंह ने डिजिटल तरीके से बिहार के आरा जिले से इस योजना की शुरूआत की । इस प्रोग्राम के तहत सरकारी कंपनी एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (EESL) की सब्सिडियरी यूनिट कनवर्जेन्स एनर्जी सर्विसेज लि. (CESL) गांवो में 10 रुपये प्रति बल्ब की दर से ग्रामीण परिवारों को एलईडी बल्ब उपलब्ध कराएगी।
पहले चरण में पांच राज्यों में मिलेगी एलईडी बल्ब
सीईएसएल ने एक बयान में कहा कि प्रोग्राम के तहत पहले चरण में पांच राज्यों के गांवों में सस्ती दर पर एलईडी बल्ब उपलब्ध कराये जाएंगे। इस चरण में 1.5 करोड़ एलईडी बल्ब आरा (बिहार), वाराणसी (उत्तर प्रदेश), विजयवाड़ा (आंध्र प्रदेश), नागपुर (महाराष्ट्र) और पश्चिमी गुजरात के गांवों में ग्रामीण परिवारों को दिए जाएंगे। प्रोग्राम का फाइनेंस पूरी तरह से कार्बन क्रेडिट (Carbon Credits) के माध्यम से किया जाएगा और इस तरह का यह भारत का पहला प्रोग्राम है।
इस मौके पर मंत्री ने कहा, ”यह हमारे लिए काफी खुशी का पल है कि हम गांवों में रहने वाले अपने लोगों को सस्ती दर और उच्च गुणवत्ता के एलईडी बल्ब उपलब्ध कराने का समाधान तलाशने में कामयाब हुए हैं। देश के दृष्टिकोण को आगे बढ़ाने में सीईएसएल ने जो अथक कार्य किया है, मैं उसके लिए उसकी सराहना करता हूं. मुझे भरोसा है कि यह प्रतिबद्धता और प्रयास देश के सभी गांवों में देखने को मिलेगा।”
ग्रामीण अधिकतम 5 एलईडी बल्ब ले सकते हैं
ग्राम उजाला प्रोग्राम के तहत तीन साल की वारंटी के साथ 7 वाट और 12 वाट के एलईडी बल्ब ग्रामीण परिवारों को दिया जायेगा। ये बल्ब पुराने परंपरागत बल्बों को जमा करने पर दिए जाएंगे। ग्राम उजाला योजना के तहत ग्राहक अधिकतम 5 एलईडी बल्ब पंपरागत बल्ब देकर ले सकते हैं। इन ग्रामीण परिवारों के यहां मीटर भी लगा होगा।
केंद्रीय मंत्री के बयान के अनुसार इस प्रोग्राम का भारत के जलवायु परिवर्तन को लेकर जारी कार्रवाई पर उल्लेखनीय प्रभाव पड़ेगा। इससे 202.5 करोड़ यूनिट (किलोवाट प्रति घंटा) सालाना बिजली की बचत होगी जबकि कार्बन उत्सर्जन में 16.5 लाख टन सालाना की कमी भी आएगी। इससे घरों में सस्ती दर पर बेहतर रोशनी मिलेगी।