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विधानपरिषद में शिक्षकों के वेतन और पेंशन के मुद्दे पर हुई चर्चा, शिक्षा मंत्री ने समान सुविधा और लाभ देने से किया इनकार

पटना: विधानपरिषद में आज दसवे दिन में शिक्षकों के वेतन और पेंशन का मुद्दा उठा । जेडीयू एमएलसी डा. संजीव कुमार सिंह ने सदन में शिक्षकों के वेतन और पेंशन की बात कही। उन्होंने कहा कि शिक्षकों के लिए  कई  राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना और वेतनमान लागू किया है। इसलिए  राज्य सरकार द्वारा भी स्वास्थ्य, बीमा और पेंशन सुविधा शिक्षकों को देनी चाहिए, क्योकि  किसी भी विपदा में सरकार शिक्षकों को ही खोजती है। कोरोना में भी सारे क्वारंटीन सेंटर शिक्षकों के भरोसे चल रहे थे।

ईपीएफ से कवर किया गया

इस मामले पर राज्य के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने कहा कि पंचायती राज व नगर निकायों से बहाल शिक्षकों को राज्य कर्मियों के समान सुविधा और लाभ देने का कोई प्रस्ताव सरकार के पास विचाराधीन नहीं है। इन्हें ईपीएफ से कवर किया गया है। साथ ही उच्चतम न्यायालय में भी इस मामले पर विचार विमर्श हो चुका है। मंत्री ने कहा कि सामाजिक सुरक्षा एवं कल्याण को ध्यान में रख कर शिक्षकों को एक सितंबर 2020 से राज्य सरकार ने ईपीएफ स्कीम से कवर किया गया है।

इसके लिए प्राथमिक विद्यालय से लेकर उच्च माध्यमिक विद्यालय तक कार्यरत शिक्षक व पुस्तकालयाध्यक्ष के मासिक परिलब्धियों अन्तर्गत 15000 रुपये प्रति माह के वेतन की राशि पर राज्य सरकार अपना अंशदान 13 (12+1) प्रतिशत देगी। इन्हें नियत वेतन से निकालकर 11 अगस्त 2015 को अनुशंसित वेतनमान दिया। साथ ही राज्य सरकार के कर्मियों के अनुरूप घोषित महंगाई भत्ता, चिकित्सा भत्ता, मकान किराया भत्ता और देय वार्षिक वेतन वृद्धि स्वीकृत की गई।

15 प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्णय

आगे उन्होंने कहा कि वर्तमान वेतन संरचना में सुधार करने के उद्देश्य से उनको 1st  अप्रैल, 2021 को देय वेतन में 15 प्रतिशत की वृद्धि करने का निर्णय लिया गया। इन शिक्षकों के वेतनमान एवं सेवाशर्त पर सर्वोच्च न्यायालय न्यायादेश पारित करते हुए यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार ने शिक्षकों के अधिकार का हनन नहीं किया है। साथ ही शिक्षकों को पूर्व के सहायक शिक्षकों (जिनका संवर्ग मरणशील है) के समरूप वेतनमान एवं सेवाशर्त का दावा न्यायादेश के आलोक में मान्य नहीं है।

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