नालंदा की पुष्पलता को दो साल बाद मिली अलीगढ जेल से आजादी, जजों ने दिखाई मानवीय संवेदना

नालंदा: अलीगढ जिले में जज की मानवीय संवेदना ने एक बिहार के नालंदा जिले से ताल्लुक रखने वाली महिला बंदी को जेल से रिहा कराने में अहम भूमिका निभाई। अदालत की बंदी होने के बावजूद न्यायिक कार्य करते हुए महिला को जमानत देते हुए न सिर्फ उसके पति से मिलवाया बल्कि अलीगढ़ जेल से नालंदा की बेटी को रिहा कराया।
जानिए पूरा मामला
दरअसल दो साल पहले महिला विक्षिप्त अवस्था में अपने परिवार से बिछुड़ कर उत्तरप्रदेश के अलीगढ़ जिले पहुंच गयी थी। वहां उसे अपहरण व चोरी के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया। गिरफ्तारी के वक्त वह महिला गर्भवती थी। हालांकि, जेल में मैनुअल के अनुसार उसका इलाज हुआ और वह स्वस्थ हो गई। इसी दौरान, विक्षिप्त अवस्था में ही उसने एक बेटे को जन्म दिया। उसकी देखरेख वहां के बाल कल्याण समिति ने की थी। बता दे उस महिला का नाम पुष्पलता है जो नालंदा जिले के थरथरी थाना क्षेत्र स्थित आस्था गांव की रहने वाली थी।
कागजी प्रक्रिया
कोरोना काल में बंदियों की रिहाई पर सर्वोच्च न्यायालय के आदेश के आलोक में 12 मई को अलीगढ़ जिला विधिक सेवा प्राधिकार के अध्यक्ष महेंद्र कुमार की पहल पर सीजेएम ने उन्हें दो महीने की अंतरिम जमानत दे दी। इसके बाद कागजी प्रक्रिया पूरी कर महिला व बच्चे को उसके पिता की मौजूदगी में पति रवि रंजन व पिता दुर्गेश प्रसाद से मिलवाया और उसे सुपुर्द कर दिया गया।
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