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बिहार: 50 वर्ष के ऊपर अक्षम कर्मचारी को हटाने को लेकर कार्रवाई शुरू: जबरन रिटायर करने के फैसले पर सियासत तेज

पटना: बिहार सरकार ने 50 साल से ऊपर या 50 साल के लगभग जो भी कर्मचारी है उनके कामों की समीक्षा करने का फैसला किया है। फिलहाल यह निर्देश गृह विभाग के लिए है और गृह विभाग से संबंधित सभी इकाईयो  के लिए। इसके बाद दूसरे विभाग को भी अमल में लाया जा सकता है।

बिहार में 50 साल से ऊपर अक्षम सेवकों को जबरन रिटायर करने के फैसले पर सियासत शुरू हो गई है। आरजेडी, कांग्रेस और पुलिस एसोसिएशन ने इस फैसले पर विरोध जताया है।

पुलिस मेंस एसोसिएशन ने इस फैसले के खिलाफ सड़क पर उतरने की चेतावनी दी

इस पर पुलिस मेंस एसोसिएशन के अध्यक्ष नगेंद्र कुमार धीरज ने कहा है कि किसे पुलिस विभाग में लागू नहीं होने दिया। टुडे इस फैसले को सामूहिक और जनसंहार  बताया है। उनका कहना है कि जब सरकारी कर्मियों के ऊपर कई जिम्मेदारियां होती है तो उस वक्त नौकरी से जबरन निकालना मृत्युदंड जैसा है। उन्होंने इस फैसले के खिलाफ सड़क पर उतरने की चेतावनी दी है। उन्होंने कहा कि जब पुलिस की बहाली शारीरिक और मेडिकल टेस्ट के बाद होती है तो इस तरह का फैसला कोई मतलब ही नहीं बनता है।

आरजेडी नेता  इसे तुगलकी फरमान कहा

वही इस फैसले पर आरजेडी नेता मनोज झा ने कहा कि यह आदेश उस राज्य की तुगलकी फरमान है जहां  जहां एक बड़ी आबादी को 40 से 45 वर्ष की उम्र में बड़ी मुश्किल से नौकरी मिलती है और हां! अगर पैमाना हो तो शासनादेश से उत्पन्न इस सरकार को ही रिटायर हो  जाना चाहिए।

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दरअसल सरकार द्वारा जुलाई 2020 में यह महत्वपूर्ण निर्णय लिया गया था। अब सरकार ने इस फैसले पर अमल करना शुरू कर दिया। बिहार सरकार के सामान्य प्रशासन विभाग के 50 वर्ष के ऊपर अक्षम कर्मचारी को हटाने को लेकर कार्रवाई शुरू कर दी गई है। इसके लिए सरकार ने एक कमेटी का गठन किया है जिसमें तीन सदस्यों और  चार सदस्यों की अलग-अलग कमेटियां गठित की गई है। गृह विभाग के  मुख्य सचिव की अध्यक्षता में इस कमेटी का गठन किया गया है यह कमेटी समूह को वाले अधिकारियों की समीक्षा करेगी।

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